मंगलवार, 14 जुलाई 2009

वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं


वो मुझको अपनी जाँ समझते हैं।
           मेरी मौनी को मेरी हाँ समझते हैं॥


जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
         मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं॥

बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
         अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं॥


समझाती रहती हूँ अब यह छोडो
          पर मेरी बातें वो कहाँ समझते हैं॥

उन के आगे तो मेरी एक चले ना
         ख़ुद को तीस मार खां समझते है॥


रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
         पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं॥ 

18 टिप्‍पणियां:

  1. "बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
    अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।"

    बहुत सही लिखा।

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  2. रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
    पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं।
    waah bahut khub

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  3. Kabhii to samajh jayenge vo...:)
    aap likhteyn rahen..achcha likhteyn hain

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  4. बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
    अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।

    YAH SAATHE MEN PAATHA VAALA MAAMLA HAI JANNB. VAISE AAP LIKHTE RAHIYE KUCHH TO SUDHAAR HOGA

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  5. साठा सो पाठा़,
    अस्सी का अधराना,
    सौ का बुड्ढा!!

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  6. "बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
    अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।"
    हा हा हा बहुत खूब लाजवाब्

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  7. जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
    मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं

    गुलदस्ता है जनाब नये नये शेरो का ........ सुंदर ग़ज़ल है .

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  8. bahut sundar prem ji,
    badhiya lagi aapki kavita..

    जुल्फें मेरी बिखरा के ख़ुद पर वो
    मुझको ठंडी घनेरी छाँ समझते हैं

    jawab nahi kya likhate hai aap
    badhayi ..

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  9. मेरे पास वे शब्द नहीं जो इस गज़ल की तारीफ़ कर सकूँ !

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  10. प्रेम जी,
    हास्य की चन्द sprinklings के साथ सौन्दर्य का सुन्दर चित्रण किया है आप ने.

    "रह जाती हूँ मैं मन को मसोसकर
    पर मेरी कहाँ वो जुवां समझते हैं"

    इस पर मेरा कहना कुछ यूं है:

    "जज़्बात में अल्फ़ाज़ की जरूरत ही कहां है,
    गुफ़्तगू वो के तू सब जान गया और मैं खामोश यहां हूं"

    आपने तो "सच में" की तरफ़ आना ही छोड दिया!अनुग्रहीत करे कभी आकर उस तरफ़.

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  11. बस होने ही वाले हैं साठ के ऊपर
    अभी भी खुदको जवाँ समझते हैं।
    जवानी और बुढापे का उम्र से क्या सम्बन्ध
    बेहतरीन रचना

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  12. बहुत ही सुंदर भावना के साथ आपकी लिखी हुई इस शानदार रचना के लिए बधाई!

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  13. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति है

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  14. रचना में व्यंग्य भी है,हास्य भी और संवेदना भी.

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