सोमवार, 6 जुलाई 2009

मुस्कराते हुए लोग भी अन्दर से हुए क्रूर हैं


मुस्कराते हुए लोग भी अन्दर से हुए क्रूर हैं।
       दोहरी जिन्दगी जीने के लिए हुए मजबूर हैं॥

कहना कुछ करना कुछ आदत सी पड़ गयी
      इन्सान के आज  कितने बदल गए दस्तूर हैं॥

जुल्म पर जुल्म  बढते जा रहे हैं दिनों दिन
       मगर सज़ा वही पा रहे जो गरीब बेक़सूर है॥

मस्ती में  जी रहे हैं वही  मनमानी जिंदगी
        जिनके दौलत से भरे हुए खजाने भरपूर हैं॥

कोई किसी की परवाह ही नहीं करना चाहे 
       इंसानियत से लोग आज जा रहे बड़ी दूर हैं॥

शासन प्रशासन सभी तो हैं जनता के लिए
        इसके बावजूद भी सब लोग हुए चूर चूर हैं॥

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचना बहुत अच्छी लगी....आप बहुत अच्छा लिखते हैं

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  2. जुल्म पर जुल्म बढते जा रहे हैं दिनों दिन
    मगर सज़ा वही पा रहे जो गरीब बेक़सूर हैं ।

    सच्चाई को बेबाकी से बेनकाब करती आपकी रचना प्रशंशनीय है...बधाई
    नीरज

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  3. एक एक शेर कमाल के है ................बहुत ही सही कहा है आप्ने ...........मुस्कुराते हुये लोग............अन्दर से क्रुर हुये है.........बहुत सच है...

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  4. जुल्म पर जुल्म बढते जा रहे हैं दिनों दिन
    मगर सज़ा वही पा रहे जो गरीब बेक़सूर हैं

    कमल के शेर कहें हैं आपने.............. बहुत खूब

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  5. sahi likha hai aapne,
    aaj ka daur aisa hi chal raha hai,
    insaan ki paribhasha badal rahi hai,

    bahut badhiya rachana..dhanywaad

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  6. मस्ती में जी रहे हैं वही मनमानी जिंदगी
    जिनके दौलत से भरे हुए खजाने भरपूर हैं।

    आपका लेखन वास्‍तव में बहुत ही उम्‍दा है, हर एक पंक्ति बहुत ही बेहतरीन ।

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  7. होठों पर मुस्कान,
    हृदय में भरा हलाहल होता है।
    इनको देख हमारा मन,
    आकुल-व्याकुल होता है।।

    आपकी कविता दार्शनिकता से
    भरपूर है।
    बधाई!

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  8. शासन प्रशासन सभी तो हैं जनता के लिए
    इसके बावजूद भी सब लोग हुए चूर चूर हैं।
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    हकीकत यही है -- बहुत खूबसूरती से बयान किया है आपने.
    बहुत सुन्दर

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  9. शासन प्रशासन सभी तो हैं जनता के लिए
    इसके बावजूद भी सब लोग हुए चूर चूर हैं
    बहुत ही सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति आभार्

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  10. कोई किसी की परवाह करना ही नहीं चाहे
    आज इंसानियत से लोग जा रहे बड़ी दूर हैं।

    -हर शेर सटीक है, बधाई.

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  11. बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने और बिल्कुल सही कहा है कि मुस्कुराते हुए लोग भी अन्दर से क्रूर होते हैं..ये बात सच है!

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