शनिवार, 2 मई 2009

हम दम कोई मिला नहीं


हम दम कोई मिला नहीं।
                  फिर भी कोई गिला नहीं। 

महक जाता गुलशन मेरा
                पर फूल कोई खिला नहीं।

सिमट के रह गया ख़ुद में 
             कहीं पाया कोई सिला नहीं।

कैसे निभाते बतलाएं जरा 
                  खुदी से कोई हिला नहीं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम भाई!
    आप प्रेरणा प्राप्त करते रहें
    और
    लिखते रहें.............
    लिखते रहें.............लिखते रहें.............
    यही कामना है।

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  2. हम भी करते रहे इंतज़ार....
    हमसे कोई मिला ही नहीं....!!
    जीवन को नेमत मानते हैं
    किसी से कोई भी गिला नहीं..!!

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